कोतवाल धनसिंह और उनके साथी शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि 

0
368
शहीद कोतवाल धनसिंह शोध संस्थान एवं प्रशासन ने मिलकर दी श्रद्धांजलि
मेरठ । कोई भी देश अपने बलिदानी क्रांतिकारी अमर शहीदों के कारण ही संसार में स्वाभिमान के साथ जिंदा रह सकता है ।
यदि यह बात भारत के बारे में कही जाए तो यहां तो यह है अक्षरश: सत्य सिद्ध होती है । सचमुच भारत के पास एक से एक बढ़कर बेमिसाल और बेजोड़ ऐसे क्रांतिकारी हैं जिन्होंने समय आने पर अपना सर्वोत्कृष्ट बलिदान देकर मां भारती की अनुपम सेवा की है । मेरठ की भूमि की बात करें तो यहां पर कोतवाल धन सिंह गुर्जर और उनके साथियों के बलिदान को यह धरती कभी नहीं भूल सकती। इन महान क्रांतिकारियों के बलिदान ने भारत की आजादी को दिलाने में अपना बहुत महत्वपूर्ण योगदान किया । यही कारण है कि इन सब बलिदानियों की पावन स्मृति को नमन करने के लिए प्रत्येक वर्ष उनकी  मूर्तियों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित कर कृतज्ञ राष्ट्र उन्हें अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
 बात उन दिनों की है जब 1857 की क्रांति के जनक  कोतवाल धनसिंह गुर्जर का क्रांतिकारी आंदोलन अपने चरम पर था और अंग्रेजों को उन्होंने उखाड़ फेंकने का सर्वत्र बिगुल फूंक दिया था । तब अंग्रेजों ने प्रतिक्रांति करते हुए  धनसिंह कोतवाल को समूल नष्ट करने के लिए खाकी रिसाले का गठन किया, इस खाकी रिसाले ने 3/4 जौलाई 1857 को पांचली खुर्द गांव पर तोपों से आक्रमण किया, जिसमें 400 से ज्यादा लोग मारे  गए, जो बचे उनमे से 40 को फांसी पर लटका दिया गया था । अपने इन अमर बलिदानी यों की स्मृति में मेरठ में यह दिन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
 इस दिन अनेक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
हर बार की भांति  इस बार भी यह कार्यक्रम शोध संस्थान के साथ समन्वय करके सदर थाना/पुलिस विभाग मेरठ द्वारा आयोजित किया गया ।कार्यक्रम मे नवागत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री अजय साहनी ने एस.पी.सिटी-डा.अखिलेश नारायण सिंह, ए.एस.पी.-श्री राम अर्ज, सी.ओ.-चक्रपानी त्रिपाठी तथा थानाध्यक्ष श्री विजय गुप्ता के साथ  सदर थाना परिसर मे स्थित”1857 की क्रांति के बेमिसाल महानायक अमर शहीद धनसिंह कोतवाल की प्रतिमा” पर माल्यार्पण किया, गार्ड ऑफ आनर्स कर सलामी दी।
इस अवसर पर शहर और देहात से पधारे गणमान्य प्रबुद्धजनों, इतिहासकारों ,  प्रोफेसरों ,डॉक्टरों, एवं समाजसेवियों ने माल्यार्पण किया।
एस.एस.पी. श्री साहनी ने कहा कि 1857 मे पुलिस की बडी भूमिका है यदि सही दिशा में शोध हुआ तो इतिहास का पुनः लेखन करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक लेखक और इतिहासकार को इस दिशा में विशेष और ठोस परिश्रम कर इतिहास के सच को लोगों के सामने उजागर करना चाहिए। श्री साहनी ने कहा कि जो देश अपने बलिदानियों को भूल जाता है वह कभी जिंदा नहीं रह सकता । इसलिए हम भारतवासियों को एक राष्ट्र के रूप में बने रहने के लिए अपने अमर बलिदानियों का सम्मान करना सीखना होगा।
कार्यक्रम में  धनसिंह कोतवाल के वंशज एवं शोध संस्थान के चेयरमैन तस्वीर सिंह चपराना, प्रमुख समाज सेवी सरजीत सिंह, वरिष्ठ इतिहासकार प्रोफेसर के.के.शर्मा, प्रोफेसर देवेश शर्मा, प्रोफेसर नवीन चंद गुप्ता, इतिहासकार डा. देवेन्द्र सिंह, प्रधानाचार्य डा.नवलसिंह, प्रधानाचार्य डा.कर्मेंद्र सिंह, प्रधानाचार्या श्रीमती सुगम सिंह धामा, प्रधानाचार्या डा.नन्दिनी प्रधान, श्रीमती सिम्मी सिंह,प्रधान भोपाल सिंह गुर्जर, प्रधान जगरूप, मुखिया जयचन्द, प्रधान जहान सिंह जेवरी,पार्षद प्रदीप गुर्जर, कैप्टन सुभाष,भंवर सिंह, विरेन्द्र सिंह, जगत दोसा,सरदार सुखदेव सिंह, मुनेन्द्र भडाना, डा. मुनिराम,एडवोकेट विक्रम सिंह, जयद्रथ सिंह, गजेंद्र सिंह, गजे सिंह, जहारिया सिंह, विजय पाल गुमी, मनोज धामा, डा.सुगरपाल सिंह, लीलू ठेकेदार, जयराज,कृष्ण, जगजीत सिंह, राजन कुमार, ओमकार सिंह, महकार सिंह, राजवीर सिंह, आदि उपस्थित रहे।

Comment